जो राष्ट्र अपनी मिट्टी को खत्म करता है खुद को खत्म कर लेता है :फ्रेंक्लिन रोसवेल्ट

रोटी कपड़ा और मकान सब जानते हैं, इसमे रोटी मानव की प्रथम आवश्यकता है। रोटी कपड़ा और मकान तीनो ही धरती देती है मिट्टी ताकतवर हो तो फसल बम्पर होता है, मिट्टी का भोजन गोवर और जैविक कचरा है, गोवर गाय देती है और कचरा हमे फसलों, पेड़ों से प्राप्त है। गोवर से जैविक खाद और सूक्ष्म जीवाणु मिलते हैं। जैविक खाद का पोषण में रूपांतरण गोवर में मवजुद जीवाणु करते हैं गाय को जितना अच्छा आहार-विहार होगा उतना ही अच्छा खाद खेतों के लिए प्राप्त होगा। देश गौपालन से विमुख क्या हुआ आज मानवता पर अस्तित्व का संकट मंडरा रहा है।
गाय ही मिट्टी को बलवान बनाती है बैल किसान का सच्चा मित्र है जो खेत से घर तक उसका कार्य करता है हल चलाता है, सामान ढोता है और मिंजाई भी करता है उसे पिता का दर्जा दिया जाता है क्यूंकि वो हमें कमा कर देता है। जो किसान गौ विहीन कृषि करते हैं वे ही गौवंश के असल हत्यारे हैं वे ही धरती को रासायनिक खाद डाल और ट्रेक्टर से जोतकर बंजर जहरीला बनाते हैं जहर उगाते हैं प्रकृति का और समस्त जीव जगत का नाश करते हैं धरती को जीवनरहित बनाते हैं रोगी बनाते हैं। स्वदेशी बीज, स्वदेशी खाद, स्वदेशी गाय यही तीन पहचान है कृषक की। गौ आधारित कृषि के अलावा अन्य कोई भी कृषि कृषि नहीं, कृषि शब्द का अर्थ है भूमि को बलवान, ऊर्जावान, पुस्ट, उर्वरा, उपजाऊ बनाना। यह कार्य करने की क्षमता सिर्फ गाय में है और किसी अन्य जीव, तकनीक या मशीन में नहीं। जो देश अपने मिट्टी को नष्ट करता है, खुद को नष्ट कर लेता है यह कथन अमेरिका के 32वें राष्ट्रपति – फ्रेंक्लिन रोसेवेल्ट ने कहा था।