छत्तीसगढ़ प्रदेश में उद्योग नीति में लागत मूल्य का भी उल्लेख करने का पर प्रावधान हो ताकि उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर सामग्री मिल सके: अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत

छत्तीसगढ़ प्रान्त अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत ने छत्तीसगढ़ शासन से मांग करता है कि छत्तीसगढ़ प्रदेश मे भवन सामग्री की अत्यधिक मूल्य वृद्धि होने के कारण भवन निर्माण कर्ताओं व बिल्डरों की कमर टूटते जा रही है एवं मकान की मूल्य अति से भी अधिक हो रही है ।जिससे मध्यमवर्ग को मकान खरीदने बस की बात नहीं है इसका प्रमुख कारण है बिल्डिंग मटेरियल को अत्यधिक दाम बढ़ जाने के कारण सपनों का मकान बनाने वाले महंगाई के कारण मकान नहीं बना पा रहे हैं और बनाते भी हैं तो किसी तरह कर्ज लेकर बनाते हैं जिसे जिंदगी भर उस कर्ज को चुकाने में लग जाता है। इसलिए छत्तीसगढ़ नया उद्योग नीति में सरिया टीएमटी सीमेंट इत्यादि की शासन की ओर से उत्पादन कर्ता से लागत मूल्य के आधार पर एक मूल्य निर्धारण की जानी चाहिए ।
पिछले सप्ताह नई दुनिया 4 दिसंबर 2020 एक समाचार प्रकाशित हुआ जिसमें उद्योगपतियों ने कहा प्रदेश के उद्योगों के लिए अलग से नीति बनाएं जिस में कच्चे लोहे, आयरन ओर की कीमत 85 फीसदी पहुंच गया है जिसके कारण सरिया टीएमटी 50,000 हजार रुपये के करीब होगये है। छत्तीसगढ़ प्रदेश में लगभग 15 से 18 सीमेंट प्लांट है जिसमें छत्तीसगढ़ के चुनाव पत्थर से ही सीमेंट का निर्माण होता है सीमेंट बनाने में 70 फ़ीसदी चूना पत्थर सीमेंट निर्माण में लगता है कई सैकड़ों हेक्टेयर चूना पत्थर खदान छत्तीसगढ़ शासन ने सीमेंट निर्माताओं को आवंटित किया है उसके बाद भी प्रदेश में 270,280 रुपए सीमेंट बेचना कहीं ना कहीं उपभोक्ताओं के साथ अन्याय है।
छत्तीसगढ़ प्रदेश के सीमेंट निर्माताओं ने प्रदेश में सीमेंट की उत्पादन कम करते हैं क्लिंकर की उत्पादन अधिक करते हैं जिसे अन्य प्रदेशों में उसकी नियात कर ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाया जा सके दूसरी बात यह है कि जितने भी सीमेंट निर्माता कंपनियां हैं एक दूसरे को आपस में कॉकटेल कर के दाम में बढ़ोतरी करते हैं जिससे मूल्य मे विरधि एवं प्रतिस्पर्धा बढ़ जाती है ।
उसी प्रकार प्रदेश में कच्चे लोहे की भंडार है देश के छत्तीसगढ़ में सबसे अधिक लोहे की कारखाना है उसके बावजूद भी 50,000 हजार टन लोहा टीएमटी सरिया मिलना अन्याय ही हैं इसके बावजूद भी सरकार ने उद्योगपतियों को कई तरह को सुविधा दिया जा रहा है सरकार को चाहिए कि उद्योगपतियों की मूल्य एवं लागत कि गणना कर मूल्य निर्धारण करें ताकि आम उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर इन वस्तुओं की उपलब्ध हो सके ।