कोरोना वायरस को खत्म करने में कारगर सार्स का एंटीबॉडी यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन स्कूल ऑफ मेडिसिन के बायो केमिस्ट्री विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डेविड वीसलर ने कहा
कोविड-19 का कारण बनने वाले कोरोना वायरस से निपटने की दिशा में उम्मीद की नई किरण दिखी है 2003 में सार्स महामारी से ठीक हुए मरीज के शरीर में बने एंटीबॉडी को कोविड-19 का कारण बनने वाले वायरस से निपटने के कारगर पाया गया है इसी एंटीबॉडी का नाम एस309 है सैन फ्रांसिस्को की वीर बायोटेक्नोलॉजी इस एंटीबॉडी के क्लीनिकल ट्रायल की दिशा में काम कर रही है इसके शुरुआती नतीजों को विज्ञान पत्रिका नेचर में प्रकाशित किया गया है इस एंटीबॉडी को अकेले यह कुछ अन्य एंटीबॉडी के साथ मिलाकर लोगों को कोविड-19 के खतरे से बचाना संभव हो सकता है गंभीर मामलों में इलाज के तौर पर भी इसका इस्तेमाल संभव है
यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन स्कूल ऑफ मेडिसिन के बायो केमिस्ट्री विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डेविड वीसलर ने कहा है कि अभी इस एंटीबॉडी प्रयोगशाला में कारगर पाया गया है यह जानना जरूरी है कि किसी व्यक्ति के शरीर में पहुंचने के बाद यह कितना कारगर हो सकता है अभी तक कोविड-19 से लड़ने के लिए किसी कारगर दवा या तरीके की खोज नहीं हो पाई है वीर टेक्नोलॉजी ने कहा कि एस 309 एंटीबॉडी के आधार पर फार्मा कंपनियां ग्लैक्सोसिमथक्लीन के साथ मिलकर लैब में दो दबाएं वीर 7831 और वीर 7832 बनाई गई है यह दवाइयां कोविड-19 का कारण बनने वाले वायरस को खत्म करने में सहायक हो सकती है वैज्ञानिकों ने प्रयोग के दौरान पाया कि एस309 एंटीवायरस को किसी कोशिका में प्रवेश करने में मदद करने वाले एक प्रोटीन को निशाना बनाने में सक्षम है यह एंटीबॉडी बाइंडिंग साइट को पहचान कर हमला करता है जो कई अलग-अलग तरह के वायरस में एक जैसे होते हैं यही कारण है कि इसके साथ-साथ कोविड-19 का कारण बनने वाले वायरस आ गया है सोर्सेज आईएएनस